वीनू हलकरे बनीं लालबर्रा की पहली अंग्रेजी स्टेनोग्राफर, छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला न्यायालय में मिली नियुक्ति।*_माता-पिता के समर्थन और छह साल की कड़ी मेहनत से पाया मुकाम_पंचायतीराज न्यूज़ लालबर्रा।*

वीनू हलकरे बनीं लालबर्रा की पहली अंग्रेजी स्टेनोग्राफर, छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला न्यायालय में मिली नियुक्ति।*

_माता-पिता के समर्थन और छह साल की कड़ी मेहनत से पाया मुकाम_

पंचायतीराज न्यूज़ लालबर्रा।*
    लालबर्रा की बेटी वीनू हलकरे ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए क्षेत्र की पहली अंग्रेजी स्टेनोग्राफर बनने का गौरव प्राप्त किया है। उनका चयन छत्तीसगढ़ राज्य के जशपुर जिला न्यायालय में अंग्रेजी स्टेनोग्राफर के एकमात्र पद पर हुआ है। इस चयन ने वीनू को न केवल अपने परिवार का नाम रोशन करने का मौका दिया, बल्कि लालबर्रा क्षेत्र की बेटियों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बना दिया।

*छह वर्षों की कठिन तपस्या से पाई सफलता*
वीनू की इस सफलता के पीछे उनकी छह साल की अथक मेहनत है। 2018 में जबलपुर से आईटीआई अंग्रेजी स्टेनोग्राफी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। इस लंबे सफर में वीनू ने कई बार परीक्षाएं दीं, लेकिन हर बार कुछ अंकों से सिलेक्शन से चूकने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। वीनू की दृढ़ता और निरंतर अभ्यास ने अंततः उन्हें यह महत्वपूर्ण सफलता दिलाई।

*परिवार का अटूट समर्थन*
वीनू की सफलता में उनके माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनके पिता, सेवानिवृत्त शिक्षक देवीप्रसाद हलकरे, ने बताया, "हमारी तीन बेटियां हैं, और हमने कभी बेटा-बेटी में फर्क नहीं किया। जब वीनू ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की इच्छा जताई, तो हमने उसे पूरा समर्थन दिया।" वीनू की मां, श्रीमती सावित्री हलकरे, ने कहा कि वे बहुत खुश हैं कि उनकी बेटी ने अपनी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है।

हालांकि, समाज के कुछ लोग वीनू की पढ़ाई को लेकर उनके परिवार पर शादी का दबाव डालते रहे, लेकिन माता-पिता ने हर परिस्थिति में अपनी बेटी का साथ दिया। उन्होंने वीनू को उसकी पढ़ाई जारी रखने का पूरा अवसर दिया, जिससे वीनू का आत्मविश्वास और मजबूत हुआ।

*गुरु का मार्गदर्शन बना सफलता की कुंजी*
वीनू ने अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरु धानेश्वर सर को भी दिया। उन्होंने बताया कि धानेश्वर सर ने उन्हें न केवल स्टेनोग्राफी की तैयारी कराई, बल्कि सहायक ग्रेड-3 की परीक्षाओं के लिए भी प्रेरित किया। वे हमेशा वीनू के काम पर नजर रखते थे, उसकी गलतियों को सुधारते थे और उसे निरंतर प्रेरित करते रहते थे।

वीनू ने कहा, "धानेश्वर सर ने मुझे हर परीक्षा के लिए तैयार किया। वे व्यक्तिगत रूप से मेरी पढ़ाई में रुचि लेते थे और हमेशा मुझे प्रोत्साहित करते थे। उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन के बिना यह सफलता पाना संभव नहीं था।"

*कोरोना काल में भी नहीं रुकीं*
कोरोना महामारी के दौरान भी वीनू ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। एक बार जयपुर हाईकोर्ट की परीक्षा देने के बाद वीनू और उनके पिता कोरोना से संक्रमित हो गए थे। पिताजी की तबीयत गंभीर हो गई थी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इस कठिन समय के बावजूद, ठीक होने के बाद वीनू ने पूरी ताकत से पढ़ाई में वापसी की और अपनी तैयारियों को जारी रखा।

*लड़कियों को वीनू का संदेश*
वीनू ने अपनी सफलता के बाद उन लड़कियों के लिए एक प्रेरणादायक संदेश दिया, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने कहा, "आप अपने माता-पिता का विश्वास जीतें और अपनी मेहनत से यह साबित करें कि आप क्या कर सकती हैं। एक बार जब माता-पिता को यकीन हो जाएगा कि उनकी बेटी मेहनत कर रही है, तो वे भी पूरा समर्थन देंगे।"

वीनू ने यह भी कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में निरंतरता बहुत जरूरी है। "शुरुआत में यह कठिन लगता है, लेकिन धीरे-धीरे आदत बन जाती है और आप अपनी कमजोरियों पर काम करके सफलता की ओर बढ़ते हैं।"

*छत्तीसगढ़ में चयन का विशेष महत्व*
वीनू का चयन छत्तीसगढ़ में हुआ, जो उन राज्यों में से एक है जहां ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू है। ओपीएस के तहत कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद बेहतर पेंशन लाभ मिलता है। मध्यप्रदेश में अभी न्यू पेंशन सिस्टम (NPS) लागू है, जिसे कई कर्मचारी लाभदायक नहीं मानते और इसका विरोध करते हैं।

*निरंतरता और दृढ़ता से मिली जीत*
वीनू हलकरे की यह उपलब्धि उनके संघर्ष, मेहनत और धैर्य का प्रतीक है। उनकी कहानी उन सभी विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वीनू का कहना है कि चाहे रास्ता कितना भी कठिन हो, अगर आप में लगन और निरंतरता है, तो कोई भी मंजिल असंभव नहीं है।

*बेटियों को मिलना चाहिए प्रोत्‍साहन*
वीनू हलकरे की सफलता लालबर्रा क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि मेहनत, सही मार्गदर्शन और परिवार के समर्थन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी यह उपलब्धि उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रही हैं।

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